धर्म दर्शन

मध्य प्रदेश के ये है 9 प्रसिद्ध देवी मंदिर, जहां भक्तों की हर मनोकामना होती है पूरी

रेणू कैथवास – भारत धार्मिक आस्था, मान्यताओं और परंपराओं का देश है। कण-कण में ईश्वर का वास है। मध्यप्रदेश में भी कई चमत्कारी मंदिर हैं, जहां नवरात्रि के 9 दिन भक्तों का सैलाब उमड़ता है। यह मंदिर पूरे देश में लोकप्रिय हैं। 3 अक्टूबर से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्रि में भक्त यहां मातारानी के 9 स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते हैं। नवरात्रि पर जानते हैं एमपी के 9 प्रसिद्ध देवी मंदिरों की महिमा, मान्यता और महत्व…।

मैहर देवी मंदिर (Maihar Devi Temple)

मध्य प्रदेश के मैहर जिले में मां शारदा का 900 साल पुराना मंदिर है। त्रिकूट पर्वत पर स्थित यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि यहां माता सती के गले का हार गिरा था। इसलिए मंदिर का नाम मैहर धाम रखा गया। देवी की पहली पूजा आज भी उनके परमभक्त आल्हा करते हैं। रात को मंदिर की साफ-सफाई होती है और कपाट बंद कर दिए जाते हैं। सुबह जब मंदिर के कपाट खुलते हैं तो पूजा हो चुकी होती है। मां शारदा को सुंदर फूल चढ़ा मिलता है। नवरात्रि पर यहां रोजाना डेढ़ से दो लाख श्रद्धालु देवी दर्शन करते हैं। पहाड़ी पर स्थित मंदिर तक पहुंचने के लिए 1063 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। रोपवे की भी सुविधा उपलब्ध है।
ऐसे पहुंचें: भक्त सड़क और ट्रेन के जरिए सीधे मां शारदा धाम पहुंच सकते हैं। फ्लाइट से आ रहे हैं तो जबलपुर, खजुराहो अथवा प्रयागराज एयरपोर्ट उतरकर ट्रेन या सड़क मार्ग से मैहर पहुंच सकते हैं।

चौसठ योगिनी मंदिर (Chausath Yogini Temple)

जबलपुर के भेड़ाघाट में माता चौसठ योगिनी का प्रसिद्ध मंदिर है। इसका निर्माण 10वीं शताब्दी में हुआ था। मान्यता है कि यहां मां दुर्गा के साथ 64 योगिनियां निवास करती हैं। पहाड़ी की चोटी पर स्थित इस मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती विराजी हैं। नवरात्रि में लाखों श्रद्धालु देवी दरबार में अर्जी लगाते हैं और मन्नत मांगते हैं।
ऐसे पहुंचें: श्रद्धलु ट्रेन सड़क और फ्लाइट के जरिए जबलपुर पहुंच सकते हैं। मंदिर तक जाने सिटी बसें अथवा ऑटो की मदद ले सकते हैं।

बिजासन माता मंदिर (Bijasan Mata temple)

इंदौर में यह मंदिर 800 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। यहां देवी के नौ स्वरूप विद्यमान हैं। नवरात्रि में लाखों श्रद्धालु बिजासन माता के दरबार में मत्था टेकते हैं। मंदिर के पास मेला लगता है। जहां श्रद्धालु देवी दर्शन के बाद खरीदारी करते हैं।
ऐसे पहुंचें: रेलवे स्टेशन से 9.8 किमी दूर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने में करीब 27 मिनट लगते हैं। ऑटों अथवा बस की मदद ले सकते हैं।

कालिका माता मंदिर (Kalka Mata Temple)

रतलाम जिले में कालिका माता का 350 साल पुराना मंदिर है। मान्यता है कि राजा रतन सिंह ने मातारानी की मूर्ति स्थापित कराई थी। यहां आज भी विशेष ऊर्जा का अहसास होता है। नवरात्रि में यहां लाखों श्रद्धालु देवी दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर के पास मेला लगता है।
ऐसे पहुंचें: यहां ट्रेन और सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। फ्लाइट के लिए इंदौर एयरपोर्ट उतरना पड़ेगा।

मांढरे माता मंदिर (Mandre Mata Temple)

ग्वालियर में कंपू क्षेत्र के कैंसर पहाड़ी पर श्री मांढरे माता का 140 वर्ष पुराना मंदिर है। सिंधिया सेना के कर्नल आनंद राव ने इस मंदिर की स्थापना कराई थी। नवरात्रि में यहां रोजाना भक्तों की भारी भीड़ पहुंचते हैं। श्रद्धालु यहां नारियल, चुनरी, फूल, हल्दी, रोरी की गांठ बांधते हैं। मनोकामना पूरी होने पर इसे खोला जाता है।
ऐसे पहुंचें: ग्वालियर जंक्शन और ग्वालियर एयरपोर्ट से मंदिर तक के लिए नियमित बसें चलती हैं। ऑटो भी ले सकते हैं।

शोणदेश नर्मदा शक्तिपीठ (Shondesh narmada Shaktipeeth)

अनूपपुर जिले के अमरकंटक में 6000 साल पुराना शोणदेश नर्मदा शक्तिपीठ है। यह भी 51 शक्ति पीठों में से एक है। मान्यता है कि भगवान शिव जब अपने रुद्र रूप में थे तो कैलाश और अमरकंटक में अवशेष उतरे। एक हिस्सा स्वर्ग में रखा, जो लिंगों में परिवर्तित हो गए। इन्हीं अवशेषों के कारण भक्तों को आत्माशुद्धि का आशीर्वाद मिलता है। नवरात्रि में यहां 4 लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करते हैं।
ऐसे पहुंचें: फ्लाइट से जबलपुर एयरपोर्ट और ट्रेन से पेंड्र रोड उतरकर मंदिर तक पहंचा जा सकता है। टैक्सी के साथ बसें भी उपलब्ध हैं।

कर्फ्यू वाली माता (curfew wali mataTemple)

भोपाल में कर्फ्यू वाली माता का प्रसिद्ध मंदिर है। मान्यता है कि कर्फ्यू के दौरान यहां मंदिर की स्थापना हुई थी। जिस कारण लोग कर्फ्यू वाली माता कहने लगे। नवरात्रि में रोजाना हजारों श्रद्धालु दर्शन करते हैं। नारियल में अर्जी लिखकर ले जाने की परंपरा है। यहां घी एवं तेल की अखंड ज्योति जलती हैं। 6 माह में 45 लीटर तेल और 45 लीटर घी लगता है। 50 रुपए से अधिक का दान सिर्फ चेक से स्वीकार होता है।
ऐसे पहुंचें: भोपाल स्टेशन और एयरपोर्ट से सिटी बसें, ऑटो और टैक्सी उपलब्ध हैं।

भैरव पर्वत शक्तिपीठ (Bhairav Parvat Shakti Peet)

उज्जैन में शिप्रा तट पर भैरव पर्वत शक्तिपीठ स्थित है। लोग इसे गढ़कालिका भी कहते हैं। मान्यता है कि मां सती की कोहनी यहां गिरी थी। मंदिर में विभिन्न रंगों के पत्थर लगे हैं। देवी का शृंगार लाल साड़ी से ही होता है। नवरात्रि में लाखों भक्त देवी दर्शन करते हैं। इस दौरान माता रानी के लिए विशेष भोग तैयार होता है।
ऐसे पहुंचें: उज्जैन रेलवे स्टेशन और इंदौर एयरपोर्ट से बस, टैक्सी के जरिए मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

सलकनपुर मंदिर (Salkanpur devi Temple)

सीहोर जिले की सलकनपुर पहाड़ी में बिजासन देवी का प्रसिद्ध मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर की स्थापना बंजारों ने कराई थी। नवरात्रि पर यहां लाखों श्रद्धालु देवी दर्शन को आते हैं। हर साल यहां मेला भी लगता है। रक्तबीज नामक दैत्य से परेशान होकर देवताओं ने देवी की शरण ली थी।
ऐसे पहुंचें: भोपाल एयरपोर्ट और बुदनी रेलवे स्टेशन से बस, टैक्सी के जरिए मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

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