हरि पर्वत किला: कश्मीर का अनोखा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल
पीयूष जैन – कश्मीर के श्रीनगर में स्थित हरि पर्वत किला, जिसे कूह-ए-मारन के नाम से भी जाना जाता है, एक अनोखा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल है। यह किला अपनी वास्तुकला, रचनात्मकता और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
किले का इतिहास:
साल 1590 में मुगल बादशाह अकबर ने इस किले में एक लंबी दीवार बनवाई थी। बाद में वर्तमान किला 1808 में दुर्रानी साम्राज्य के दौरान अफगान शासन के कश्मीर गवर्नर अत्ता मोहम्मद खान ने बनवाया था।
विशेषताएं:
- मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा तीनों बने हुए हैं।
- शारिका देवी का मंदिर, सुल्तानुल आरिफ शेख मखदूम साहब की जियारत और छठी पादशाही का गुरुद्वारा।
- किले में आने-जाने के लिए दो दरवाजे बने हुए हैं।
- पहाड़ पर बना यह किला अपनी वास्तुकला और रचनात्मकता से आकर्षित करता है।
पौराणिक कहानी:
एक पौराणिक कथा के अनुसार, पौराणिक काल में यहां एक बड़ी झील हुआ करती थी, जिस पर जालोभाव नामक दैत्य का अधिकार था। वह राक्षस लोगों को खूब सताता था। तब लोगों ने भगवान शिव की अर्धांगिनी एवं कश्मीर की अधिष्ठात्री देवी माता सती से सहायता की प्रार्थना की। तब सती माता एक चिड़िया का रूप धारण करके प्रकट हुईं एवं उस राक्षस के सिर पर एक छोटा सा पत्थर रख दिया जो धीरे-धीरे आकार में बढ़ता गया और राक्षस का सिर कुचल गया।
पहुंचने का रास्ता:
- श्रीनगर रेलवे स्टेशन से 17 किमी दूर।
- श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से 16.7 किमी दूर।
खास बातें-
- इस किले का निर्माण 18वीं सदी के अंत या 19वीं सदी की शुरुआत में दुर्रानी शासन के दौरान हुआ था।
- किले की प्राचीर, 16वीं सदी के अंत से पहले मुगल सम्राट अकबर ने बनवाई थी।
- इस किले में शारिका मंदिर, गुरुद्वारा चट्टी पादशाही, और मखदूम साहिब तीर्थस्थल जैसे तीन पवित्र तीर्थस्थल हैं।
- किले के आस-पास के पहाड़ों और डल झील के खूबसूरत नज़ारों का लुत्फ़ उठाया जा सकता है।
- यह किला कश्मीरी संस्कृति और इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो पर्यटकों को आकर्षित करता है।