खुबसूरती और सुकून का परफेक्ट ठिकाना है केरल
केरल में 80 से 100 साल पुराने मंदिरों पर की गई मीनाकारी और नक्काशी आपको आकर्षित करेगी। कोच्चि फोर्ट से उगते सूर्य और डूबते सूरज को देखने का मोह भी कोई पर्यटक नहीं छोड़ पाता है।
गॉड्स ओन कंट्री यानी भगवान का देश केरल… सही मायनों में भगवान का देश ही है। यह उस वक्त महसूस किया, जब यहां खुद 5 दिन बिताने का मौका मिला। यूं तो पूरे साल केरल की खूबसूरती खुद को बयां करती है, लेकिन नवंबर से फरवरी का महीना केरल घूमने के लिए एकदम सही है। कहने को तो हम तीन दिन से 5 दिन में भी केरल घूम सकते है और यूं तो एक महीना भी कम पड़ जाए। समुद्र किनारे हरियाली से लेकर जंगल की हरियाली और खूबसूरत चाय के बागानों से सजी हरी-भरी वादियां पर्यटकों को साल भर केरल में आकर्षित करती है। अगर हम शुरुआत की बात करें, तो केरल की यात्रा की शुरुआत कोच्चि से होनी चाहिए। देश के किसी भी कोने से ट्रेन या हवाई यात्रा के जरिए कोच्चि एयरपोर्ट पर पहुंचकर यहां से केरल के सफर की शुरुआत की जानी चाहिए।
कोच्चि और तिरुवनंतपुरम शहर
कोच्चि शहर में देखने लायक न केवल प्राचीन मंदिर, बल्कि कई चर्च भी है। यहां की संस्कृति और परंपरा का निर्वाह करते लोग आपको नजर आ जाएंगे। केरल में 80 से 100 साल पुराने मंदिरों पर की गई मीनाकारी और नक्काशी आपको आकर्षित करेगी। कोच्चि फोर्ट से उगते सूर्य और डूबते सूरज को देखने का मोह भी कोई पर्यटक नहीं छोड़ पाता है। कोच्चि में ही कई तरह के प्राचीन म्यूजियम मौजूद है। इसमें एक अनूठा म्यूजियम परफ्यूम का है, जहां अलग-अलग तरह की सुगंध और बरसों पुराने परफ्यूम को आप देख सकते है। फूलों की सैकड़ों प्रजातियों से भी केरल में आप परिचित हो सकते हैं। तिरुवनंतपुरम वह दूसरा शहर है, जहां एयरपोर्ट मौजूद है और हवाई यात्रा से यहां पहुंचा जा सकता है। तिरुवनंतपुरम में देखने के लिए कई भव्य मंदिर मिलेंगे, जहां की मूर्तियां और वास्तुकला आपको आकर्षित करेगी। यहां भारत का सबसे प्रसिद्ध और पुराना मंदिर भी देखने को मिलेगा, जो भगवान विष्णु का है।
चेराई का समुद्र किनारा और कोवलम बीच
कोच्चि से एक अगला पड़ाव चेराई का है, जहां आपको समुद्र का किनारा मिलेगा। मुंबई के मरीन ड्राइव का एहसास देता चेराई का यह बीच आपको सुकून देगा। यहां पर यूं तो देखने लायक कोई खास चीज नहीं है, लेकिन समुद्र किनारे केरल के लोगों और उनकी परंपराओं को देखना आपको सुकून देगा। यहां के होटल आपको परंपरागत पकवान भी परोसते हैं। समुद्र के मनमोहक दृश्य को दिखाता कोवलम बीच भी है, जो तिरुवनंतपुरम से 16 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां मंदिर भी है, जो देखने लायक है। यह स्थान योग प्रशिक्षण के लिए भी जाना जाता है।
मुन्नार में चाय के बागान
यहां से आगे बढ़ाकर आप मुन्नार के खूबसूरत नजारों को देख सकते हैं। मुन्नार देखने के लिए आपको दो से तीन दिन लेकर चलना होंगे। अपर और लोअर मुन्नार के नजारे ही पर्यटकों को सबसे ज्यादा आकर्षित करते है। चाय के बागान और यहां की फैक्ट्री में बनती चाय और चॉकलेट देखना पर्यटकों के लिए एक अच्छा अनुभव होता है। हालांकि, चाय के बागान में हर मौसम में जाने की स्वीकृति आपको नहीं मिल सकती है, लेकिन चाय की फैक्ट्री में विजिट करके अलग-अलग तरह की चाय बनते देखी जा सकती है। मुन्नार के ही रास्तों में आपको केरल के मशहूर और हर घर में पाए जाने वाले मसाले भी मिलेंगे। इन मसाले के बागान भी आप टिकट लेकर देख सकते हैं।
एलेप्पी में हाउस बोट के मजे
कोच्चि 53 किलोमीटर दूर मौजूद यह केरल का वह पर्यटन स्थल है, जहां आप कश्मीर के बाद हाउसबोट के मजे ले सकते हैं। यह बैकवाटर है, जिसे पूर्व का वेनिस कहा जाता है। पर्यटक अपने अनुसार आधे दिन या पूरे दिन हाउसबोट लेकर यहां के नजरों को देख सकते हैं। लैगून, नदियों और बैकवॉटर का संगम एलेप्पी चर्च के लिए भी मशहूर है। बैकवॉटर में हाउसबोट में घूमने के दौरान लोगों की दिनचर्या भी यहां आकर्षित करती है।
थेक्कड़ी में वन्य जीवों का साथ
मसालों, हरियाली और वन्य जीवों के लिए यह मशहूर है यह सदाबहार जंगल है, जो हाथी, बाघों के दर्शन करवाता है और भी कई तरह के जंगली जानवर यहां देखने को मिल सकते हैं। वन्य जीव के अलावा हरियाली पर्यटकों को आकर्षित करती है।
वायनाड के खुबसूरत नजारे
वायनाड केरल का वह पहाड़ी क्षेत्र है, जहां हर पर्यटक केरल आने पर जाना पसंद करता ही है। शहर से कुछ दूर एकदम सुकून देता वायानाड आपको वादियों में घूमने का अनुभव कराएगा।
केरल के पारंपरिक खानपान, मसाले और संस्कृति को जानने के लिए पढ़िए अगला लेख…